धर्मयुद्ध में इंसाफ के लिए IPS G.P.SINGH की वापसी जरूरी !
सवाल पद का नही है, सवाल आईपीएस बने रहने का भी नही है, सवाल है धर्म युद्ध में इंसाफ का, सवाल है गैंगस्टर के रूप में पूर्व सताधारी भूपेश बघेल द्वारा किए जुल्मों सितम के हिसाब का !
एक IPS पर बिना सबूत के देशद्रोह ? एक IPS के विरुद्ध फर्जी साक्ष्य तैयार करने के लिए सड़वंत्र! G P सिंह लुटेरी भ्रष्ट सता के सिस्टम का हिस्सा नहीं बना मात्र इसलिए गैंगस्टर के रूप में सता चलाने वाले भूपेश बघेल ने आईपीएस G P सिंह के खिलाफ क्रूरता की सभी सीमाएं लांघ दी ! भूपेश बघेल और उनकी गैंगस्टर वाली टीम से धर्म युद्ध का हिसाब तो करना पड़ेगा ! G P सिंह के पक्ष में इतने सारे अदालती आदेशो के वावजूद भ्रष्टाचारियों की गैंग अब भी पूरी ताकत से जुटेगी कि किसी तरह G P सिंह की पदीय वापसी न हो ! लेकिन इन सड़ यंत्र कारियो के सभी मंसूबे धरे के धरे रह जायेगे ? ओर G P सिंह की पदीय वापसी होकर रहेगी ! धर्म युद्ध में इंसाफ जो करना है !
गौरतलब है कि पूर्ववर्ती भू-पे बघेल सरकार ने IPS जीपी सिंह के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया था। हालाकि अब अदालत ने इस राजद्रोह के केस प्रोसिडिंग पर ही रोक लगा दी है। छत्तीसगढ़ कैडर के 1994 बैच के IPS जीपी सिंह को बिलासपुर हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए उनकी बहाली का रास्ता साफ कर दिया है। इसके साथ ही षड्यंत्रकारी अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही का रास्ता भी साफ हो गया है।
छत्तीसगढ़ पुलिस के सीनियर अधिकारी जीपी सिंह को इसके पूर्व CAT से बड़ी राहत मिली थी। उसने 1 मई 2024 को दिए एक महत्वपूर्ण फैसले में चार सप्ताह के भीतर पीड़ित जीपी सिंह से जुड़े सभी मामलों को निराकृत कर उनकी बहाली किए जाने का आदेश दिया था। अब हाईकोर्ट के ताजा फैसले से एक बार फिर दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो गया है। अदालत में दो महत्वपूर्ण गवाहों ने शपथ पत्र देकर अपनी आपबीती भी सुनाई है। इस महत्वपूर्ण गवाही में दो पुलिस कर्मियों ने अदालत को बताया कि तत्कालीन SSP रायपुर ने झूठे सबूत इकट्ठा कर उनके फर्जी हस्ताक्षर किए थे।
दोनों गवाहों के मुताबिक पहले तो जीपी सिंह के घर के बाहर स्थित नाली से बतौर सबूत एक डायरी के कटे फटे पन्नों को प्लांट किया गया था, ताकि राजद्रोह का प्रकरण पंजीबद्ध करने के लिए कुछ ना कुछ सबूत गढ़े जा सके। यही नही केस डायरी में प्रस्तुत दस्तावेजों में उनके झूठे बयान और फर्जी हस्ताक्षर भी किए गए थे। बता दें कि जुलाई 2023 में तत्कालीन भू-पे सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जीपी सिंह को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी।
जीपी सिंह के खिलाफ वर्ष 2022 में छत्तीसगढ़ पुलिस ने राजद्रोह का केस दर्ज किया था। हालाकि कुछ दिनों बाद इस मामले में हाईकोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई थी। गौरतलब है कि इस फर्जीवाड़े के संज्ञान में आते ही 9 जुलाई 2021 को पीड़ित जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों की CBI जांच की मांग की थी। ताजा अदालती घटनाक्रम के बाद षड्यंत्रकारी 2005 बैच के IPS शेख आरिफ के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज करने का रास्ता साफ हो गया है।
बताया जाता है कि भूपेश बघेल की गैंग के खास एक IPS और उनकी IAS पत्नी ने मिलकर छत्तीसगढ़ शासन की तिजोरी पर करोड़ों का चूना लगाया है। भ्रष्टाचार में लिप्त इस दंपत्ति के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग ने अब जोर पकड़ लिया है। कोर्ट के ताजा फैसले से अफसरशाही सहित पत्रकार सुनील नामदेव और हम जैसे निस्पक्ष और भूपेश बघेल की सड़यंत्रकारी सता के विरुद्ध लिखने वालो में भी हर्ष की लहर है।
