HJM,जिला प्रभारी,प्रचार प्रकोष्ठ की आपत्ति पर MP हाई कोर्ट की मुहर?

HJM,जिला प्रभारी,प्रचार प्रकोष्ठ की आपत्ति पर MP हाई कोर्ट की मुहर?

बिलासपुर : बिलासपुर में विवाह अधिकारी के समक्ष हिन्दू मुस्लिम विवाह आवेदनों पर अपने संगठन हिन्दू जागरण मंच के समस्त वरिष्ठ जिला स्तरीय, प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों के मार्गदर्शन एवम सहयोग से आपत्तियां प्रस्तुत करने का एक्सपर्ट पवन गोयल हिन्दू जागरण मंच में प्रचार प्रकोष्ठ जिला प्रभारी, ने अपनी आपत्तियों में इस मुख्य बिंदु को हाइलाइट कर विवाह अधिकारी के संज्ञान में लाता रहा है कि स्पेशल मैरिज एक्ट का मूल उद्देश्य अंतर्जातीय विवाह को मान्यता प्रदान कर जातिप्रथा को खत्म करना है, ना की अंतर्धमर्मीय विवाह को मान्यता देना ! इसके बाद भी यदि बिलासपुर में विवाह अधिकारी अपना पदीय दुरुपयोग कर ऐसे अंतर्धरमीय विवाह को मान्यता देकर विवाह प्रमाण पत्र जारी करते है तो गैर कानूनी होगा ! हिन्दू जागरण मंच के जिला प्रभारी प्रचार प्रकोष्ठ की आपत्तियों में उठाई गई कानूनी प्वाइंट पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर खंडपीठ के विद्वान न्यायाधीश गुरपाल सिंह आहुलवालिया जी ने भी अपने इस फैसले में (जिसका लिंक, इस समाचार के साथ प्रस्तुत है) इस कानूनी बिंदु के अनुरूप फैसला देकर, भविष्य में स्पेशल मैरिज एक्ट  के अंतर्गत होने वाली अवैध हिंदू मुस्लिम शादियों पर आपत्तियों को सही माने जाने का रास्ता साफ कर स्पष्टता प्रदान की है, हाई कोर्ट का यह फैसला मिल का पत्थर साबित होगा, ओर हिंदू लड़कियों द्वारा मुस्लिमो के साथ लव जिहाद में मामलो में रोक लगेगी ! अब विवाह की कानूनी मान्यता के बिना हिन्दू लड़कियों को रखैल /जुगाड बनकर रहना है तो उनकी मर्जी, लेकिन किसी मुस्लिम की कानूनी पत्नी होने का हक अधिकार तो कभी नही मिलेगा !

Special Marriage Act union between Hindu and Muslim not valid under Muslim Law: Madhya Pradesh High Court | https://www.barandbench.com/news/special-marriage-act-union-between-hindu-muslim-not-valid-muslim-law-madhya-pradesh-high-court

सभी हिन्दू/हिन्दू संगठन, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के इस निर्णय को थाना स्तर भी CIATATION के रूप में प्रस्तुत कर सकते है यदि कोई थानेदार यह दलील देता है कि हिन्दू लड़की बालिग है और अपनी मर्जी से किसी से भी शादी कर सकती है ?यदि किसी भी पुलिस अधिकारी द्वारा यह दलील दी जाती है तो हमे बताना है की हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़के की शादी कानूनी रूप से भी अवैध है तो क्या थानेदार कानून विरुद्ध शादी को मान्यता देगा ? पुलिस को क्या अधिकार है कि कानून में निषेध चीजों को कानूनी मान्यता और कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बनाए ?

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