बड़ा सवाल,क्या कोनी थाना प्रभारी के संरक्षण में हो रहा है ?धर्मांतरण ?


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िलासपुर, आज कोनी थाना क्षेत्र के अंतर्गत धर्मांतरण की जानकारी मिलने पर हिन्दू संगठनों के लोग सच मात्र का पता लगाने गए थे, तो अचानक से थाना प्रभारी को क्या पड़ी थी इन लोगों को रोक कर डराने धमकाने की ?कोनी थाना प्रभारी के क्षेत्र में कैसे इतने बड़ा पंडाल लगाकर इतना बड़ा धर्मांतरण का या कथित धार्मिक कार्यक्रम आयोजित हो रहा था बिना अनुमति के ?
यदि कथित धर्मांतरण आयोजन कानूनी सब ठीक था तो थाना प्रभारी द्वारा क्यों बंद कराया गया ?
किस के संरक्षण में फल फूल रहा है कोनी थाना क्षेत्र अंतर्गत धर्मांतरण का यह खेल ?
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कोनी थाना प्रभारी पर हिन्दू संगठनों के गंभीर आरोपों के अलावा यदि हिंदुओ ने पुलिस से जवाब तलब का वीडियो नहीं बनाया होता तो संभव था कोनी थाना प्रभारी कप्तान साहब को भी गलत जानकारी देकर हिंदुओ को जबरन झूठा मामला बनाकर जेल भेज सकते थे !
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थाना प्रभारी की भी गोपनीय जांच आवश्यक ?
कही हो तो नहीं चुके धर्मांतरित ?
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जिम्मेदार पदीय कर्तव्य निर्वहन में हिंदुओ के साथ पक्षपाती व्यवहार क्यों ?
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कोनी क्षेत्र में धर्मांतरण का अड्डा बन चुके स्थान की लगातार निगरानी की आवश्यकता !
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यदि ये लोग धर्मांतरण नहीं करते तो हिन्दू संगठनों के आते ही भाग क्यों जाते है ? केवल प्रार्थना करने का तो सभी को हक है, हिन्दू मंदिरों के पुजारी तो मंदिर छोड़कर नहीं भागते है ! क्योंकि, हिन्दू किसी को भी धर्मांतरण के लिए न तो किसी को लोभ लालच देता है और न प्रेरित करता है ! हिन्दू केवल अपने सनातन की रक्षा करता है !
क्या प्रशासनिक स्तर पर भी अब धार्मिक आधार पर हिंदुओ से भेदभाव आम बात होने लगी है ? ओर ऐसे किसी भी पदीय ताकतवर अधिकारी द्वारा अपनी पदीय कर्तव्य निष्ठा के दुरूपयोग पर, पक्षपाती व्यवहार आचरण के खिलाफ किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होती है ?
थाना प्रभारी कोनी थाना पर हिन्दू संगठनों के आरोप गंभीर है ! देखते है कथित हिंदूवादी राजनीतिक नेतृत्व उक्त थाना प्रभारी पर क्या कार्यवाही करता है ? अन्यथा, सनातन की रक्षा हेतु बहुत से सक्रिय हिंदूवादी स्वयंसेवकों का मनोबल टूटेगा ! एक सनातनी से धर्मांतरित होकर ईसाई बने सोनू नाम के पूर्व बजरंग दल कार्यकर्ता ने बताया भी था कि कथित हिंदूवादी लेकिन वास्तव में सेकुलर राजनीतिक नेतृत्व और हिंदू संगठनों के छत्रपों द्वारा अपनी स्वार्थ सिद्धि की उपेक्षा के कारण निराश होकर दुःखी मन से सनातन को छोड़ ईसाई धर्म स्वीकार किया हूं ! हिंदुओ ने सोनू के रूप में एक सनातनी परिवार ही नहीं खोया अपितु सोनू द्वारा धर्मांतरण में सक्रिय भूमिका निभाने की वजह से हिंदुओ ने हजारों सनातनियों को न केवल खोया है बल्कि, एक सोनू के जाने से अपने हजारों धार्मिक दुश्मन बना लिए है ! क्या इस तरह कथित हिंदूवादी राजनीतिक नेतृत्व को हिंदुओ का वोट के रूप में समर्थन बचेगा ? किसी भी हिन्दू संगठन का कोई भी छत्रप बतायेगा ? कि, हिन्दू हिन्दू करने वाले देश के सबसे बड़े कथित हिंदूवादी संगठन के वर्तमान मुखिया ने महाकुंभ स्नान क्यों नहीं किया ? जब छत्रपों का चरित्र ऐसा होगा तो इनका अनुशरण सोनू जैसे लाखो हिन्दू क्यों करेगे ?



