इसी कामचोरी,हरामखोरी के कारण होता है निजीकरण ?शासकीय सेवक नहीं,सरकारी दामाद कहिए जनाब !

इसी कामचोरी,हरामखोरी के कारण होता है निजीकरण ?शासकीय सेवक नहीं,सरकारी दामाद कहिए जनाब !

बिलासपुर : लेकिन सूचना मुंगेली के शासकीय हॉस्पिटल से है, जहां एक वृद्ध मरीज का पुत्र अतुल अवस्थी अपने पिता के इलाज हेतु खुद ही व्हील चेयर खींचता है !

मरीज खुद स्ट्रेचर खींचे, पर सिस्टम सोता रहा मुंगेली जिला अस्पताल की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था फिर हुई उजागर !

मुंगेली, 14 अप्रैल
“मरीज का इलाज हो या खुद को अस्पताल में घसीटकर जांच करवाना हो?” — ये सवाल उस वक्त और भी कड़वा हो गया जब मुंगेली जिला अस्पताल में भर्ती मरीज सुरेंद्र अवस्थी, को उनके पुत्र अतुल अवस्थी, खुद एक्स-रे रूम तक ले जाते दिखे।

अस्पताल में स्ट्रेचर तो था, लेकिन उसे धकेलने वाला कोई नहीं। स्वास्थ्यकर्मी और जिम्मेदार कर्मचारी मूकदर्शक बने रहे। परिजनों ने बार-बार गुहार लगाई, लेकिन न डॉक्टरों की संवेदना जागी, न वार्डबॉय की ज़िम्मेदारी। मजबूरन मरीज खुद चलकर एक्स-रे रूम तक गया — यह दृश्य सिस्टम की संवेदनहीनता का एक क्रूर आईना है।

परिजन बेहाल, अस्पताल बेपरवाह
सुरेंद्र अवस्थी के पुत्र अतुल अवस्थी ने बताया कि कई बार नर्सों और स्टाफ से मदद मांगी गई, लेकिन सभी ने अनसुना कर दिया। “हम इलाज के लिए आए थे, पर यहां खुद ही मरीज को उठाकर ले जाना पड़ा। यह कैसा जिला अस्पताल है?” — परिजन की आंखों में गुस्सा भी था, लाचारी भी।

कहां है प्रशासन, कहां है जवाबदेही?
मुंगेली जिला अस्पताल प्रदेश के उन अस्पतालों में गिना जाता है, जो संसाधनों के बावजूद संवेदनहीनता की मार झेल रहे हैं। न स्टाफ में गंभीरता है, न प्रशासन में जवाबदेही। ऐसे में सवाल उठता है — क्या यही है “नवा छत्तीसगढ़ का हेल्थ सिस्टम”?

जरूरत है, जागने की
स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ समझे जाने वाले जिला अस्पतालों की हालत अगर ऐसी है, तो आम लोगों का भरोसा किस पर टिका रहेगा? अब वक्त आ गया है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग सिर्फ घोषणाओं से आगे बढ़कर ज़मीन पर उतरें — वरना मरीज खुद ही अपनी स्ट्रेचर खींचते ओर भविष्य में हो सकता है खुद ही ड्रेसिंग इत्यादि भी नजर आएंगे।

निजीकरण को दिन रात पानी पीकर कोसने वाले देखो तो सही,सरकारी दामादों को, यदि इसी तरह की ड्यूटी के लिए किसी स्वास्थ्य कर्मी की जॉब किसी निजी हॉस्पिटल में होती तो पी टी उषा जैसे दौड़ दौड़कर काम करता की नहीं ? इसलिए होता है निजीकरण ! क्योंकि देश में अधिकांश शासकीय सेवक कामचोर भ्रष्टाचारी ओर हरामखोर है !

india9907418774@gmail.com

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