फर्जी शंकराचार्यों को,हिन्दू विरोधी नेताओं का बोझ ढोने को मजबूर हिन्दू ?

मार्केट में फर्जी स्वंभू घोषित कथित शंकराचार्य अविमुक्तेश्वर द्वारा मजबूरी में दो बात कभी हिंदुओ के पक्ष में बोलने की मात्र इसलिए मजबूरी है कि भाई ये जनता है जनता !कही कोई पकड़कर ठुकाई न कर दे ? कोई कितना भी बड़ा पदीय ताकतवर है देश में, अभी जो प्रचलन है ओर सत्य भी है कि वक्त जरूरत पर कोई नहीं बचाएगा ? बाद में भले ही चाहे जितने मुकदमे लाद दिए जाए उनमें भी सजा की गारंटी नहीं, तो फिर स्थिति को संभाले कौन ? सभी में समान रूप से कानून का डर होना तो यह चाहिए कि अपराध घटित किसी रूप में होना नहीं चाहिए ?लेकिन, कानून मानता सिर्फ हिन्दू है, कानून से डरता भी केवल हिन्दू है !
अपराध चाहे वो किसी के द्वारा भी क्यों न किया जाए, रोकथाम सभी की जिम्मेदारी है, फिर कौन है वो लोग जो फर्जी स्वंभू शंकराचार्य को रोकने में असमर्थ है ?
क्यों बेबस है हिन्दू समुदाय, क्यों मजबूर है असली शंकराचार्यों का समूह ? क्यों चुप है कानून ? क्यों चुप है समाज ओर सामाजिक व्यवस्थाएं,
इतिहास बताता है कि जब हिन्दू किसी राजा को गलत मार्ग पर जाने से रोक नहीं पाते थे तो मुगलों की मदद लेते थे उसके बाद अंग्रेजों की मदद लिया, इसी तरह तो शासन वो लोग करते रहे ओर हम उन्हीं पर आश्रित बनकर रहते गए, आज भी हम सोशल मीडिया मंचो पर TMC के हिन्दू नेताओं को जिहादियों द्वारा जान से मारने की धमकियों का समर्थन इसलिए करते है क्योंकि बंगाल का हिन्दू बेबस है, टीएमसी के उन हिन्दू नेताओं से अपने वोट की एकमात्र ताकत से निपटाने में क्यों बेबस है ? जिहादियों द्वारा TMC के हिन्दू नेताओं को निपटाने का मतलब है आज भी हिन्दू सक्षम नहीं है कि अपना न्याय, अपना हिसाब चूकता खुद कर सके ?