क्या प्रेस क्लब ऑफ इंडिया बेसहारा है ?

क्या प्रेस क्लब ऑफ इंडिया बेसहारा है ?

10 मई 2025: देश में स्वतंत्र पत्रकारिता पर कथित हमलों के खिलाफ भारतीय प्रेस संगठनों—इंडियन वीमेन प्रेस कॉर्प्स, प्रेस एसोसिएशन, और दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स—द्वारा जारी किया गया एक महत्वपूर्ण संयुक्त बयान शुक्रवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया द्वारा सार्वजनिक किया गया। बयान में मीडिया संस्थानों और पत्रकारों पर लगाए गए मनमाने प्रतिबंधों की कड़ी आलोचना की गई है और सरकार से पारदर्शिता की मांग की गई है।

हालांकि इस गंभीर मुद्दे पर जारी दस्तावेज़ में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के किसी पदाधिकारी के हस्ताक्षर नहीं हैं। इसके बजाय सिर्फ़ एक कर्मचारी—जितेंद्र सिंह—के हस्ताक्षर दिखाई दे रहे हैं। यह गंभीर लापरवाही न केवल दस्तावेज़ की आधिकारिकता पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि प्रेस क्लब की कार्यप्रणाली को भी कटघरे में लाती है।

सूत्रों के अनुसार, जितेंद्र सिंह को हर महीने ₹80,000 वेतन के साथ-साथ ₹15,000 ओवरटाइम और सालाना एक महीने का बोनस भी दिया जाता है। ऐसे में यह उनकी ज़िम्मेदारी थी कि वे मोटरसाइकिल से राइडर भेजकर या स्वयं जाकर सभी संगठनों से हस्ताक्षर सुनिश्चित करते, न कि इतने महत्वपूर्ण वक्तव्य को महज अपने हस्ताक्षर के साथ जारी करते।

प्रेस क्लब की यह कार्यशैली न केवल पत्रकार संगठनों की गरिमा को ठेस पहुँचाती है, बल्कि मीडिया की स्वतंत्रता के लिए चल रही लड़ाई को भी कमजोर करती है।

बड़ा सवाल !

प्रेस विज्ञप्ति जारी करने में भी क्यों डरे हुए है मीडिया संगठन ?

क्या सता ने डराया है या खुद ही डरे हुए है ? अपने कुकर्मों के कारण ?

जिस तरह एक कौम पूरे विश्व में बदनाम है क्या उसी तर्ज पर मिडिया को बदनाम करने में खुद मीडिया संस्थान ओर मीडिया संगठन जिम्मेदार नहीं है ?

देशभर की मीडिया को अपनी कार्यशैली से देशभर में मीडिया के प्रति जनता में विश्वास को पुन: स्थापित करने की जरूरत है !

india9907418774@gmail.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *