अभियोजन अधिकारी ही भ्रष्ट तो अपराधियों को सजा मिले कैसे ,?

*आय से अधिक संपत्ति मामले में घिरे अपर निदेशक अभियोजन वीरेंद्र विक्रम, जांच के बाद FIR दर्ज…*
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उतर प्रदेश के अपर निदेशक अभियोजन अधिकारी ही भ्रष्ट है तो सोचो,अदालतों में कैसे अभियोजित करते होंगे अपराधियों की पैरवी में ?,
गजब की व्यवस्था है साहब, गजब का गठजोड़ है, काले कोट में संगठित गिरोह के रूप में काम के तौर तरीकों का, योगी जी अपराधियों को नेस्तनाबूद करने में लगे है ताकि उतर प्रदेश की जनता को अपराधियों से छुटकारा मिले, ओर ये साहब, शासकीय अभियोजन अधिकारी होकर भी भ्रष्टाचार कर, अपराधियों की पैरवी करते होंगे ?
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लखनऊ: लखनऊ में विजिलेंस विभाग ने प्रदेश के अपर निदेशक अभियोजन वीरेंद्र विक्रम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है. आरोप है कि वीरेंद्र विक्रम के पास आय से करीब 86 लाख रुपये अधिक संपत्ति मिली है. विजिलेंस ने इस मामले की जांच के बाद कार्रवाई की है. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है.
जानकारी के मुताबिक, वीरेंद्र विक्रम के खिलाफ विजिलेंस ने लंबे समय से जांच शुरू कर रखी थी. जांच के दौरान यह सामने आया कि उनकी संपत्ति उनकी आय से कहीं ज्यादा है. विजिलेंस की टीम ने आय और खर्च से जुड़े दस्तावेजों की गहराई से जांच की थी. जांच में सामने आया कि उनकी संपत्ति उनकी ज्ञात आय से 86 लाख रुपये ज्यादा है. जब उनसे इस संबंध में जवाब मांगा गया तो वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए.
विजिलेंस की रिपोर्ट के अनुसार वीरेंद्र विक्रम ने अपनी आय के मुकाबले ज्यादा खर्च किए. उन्होंने इस खर्च और संपत्ति के बारे में कोई वैध स्पष्टीकरण नहीं दिया. बता दें कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (1988) के तहत ऐसे मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान है. किसी सरकारी कर्मचारी की आय से अधिक संपत्ति मिलने पर, उसे भ्रष्टाचार का सीधा मामला माना जाता है. इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर न सिर्फ जेल की सजा होती है बल्कि संपत्ति को जब्त भी किया जा सकता है.