मिस्टर CJI,ये संज्ञान क्यों नहीं लेते हो ?
केरल के 873 पुलिसकर्मियों के PFI से कनेक्शन, पहले ही मिल जाती थी एनआईए रेड की जानकारी……
एनआइए की रिपोर्ट में खुलासा…….
केरल पुलिस के 873 जवानों के संबंध प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से हैं। इसका खुलासा इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की रिपोर्ट में हुआ है। केरल पुलिस महानिदेशक को एक रिपोर्ट सौंपी है। अभी हाल ही में केंद्र सरकार ने देश भर में हुए पीएफआई पर छापेमारी के बाद इस संगठन को प्रतिबंध कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आईबी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि सब-इंस्पेक्टर (SI) और स्टेशन हेड ऑफिसर (SHO) रैंक के अधिकारी और सिविल पुलिसकर्मी केंद्रीय एजेंसियों की जांच के दायरे में हैं। जांच एजेंसियां अब इन अधिकारियों के वित्तीय लेनदेन का ब्योरा जुटा रही है। ताकि पीएफआई कनेक्शन के बारे में पता चल सके।
खुफिया सूत्रों ने कहा, “हमने पहले भी पीएफआई के पास पहले से उपलब्ध कई सूचनाएं देखी हैं जो केवल राज्य सरकार के विचार के चरण में थीं। विभिन्न अवसरों पर उस समय पीएफआई की कुछ गतिविधियों का समर्थन करने के लिए पुलिस की चूक को देखा गया था।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि, राज्य के विभिन्न हिस्सों में एनआईए के पिछले छापों के दौरान केरल में पीएफआई कैडर को पहले ही गुप्त सूचनाएं लीक कर दी गई थीं। खुफिया एजेंसियां पीएफआई कैडर से जुड़े अधिकारियों के पैमाने और रैंक का भी पता लगा रही हैं। इसकी जानकारी जुटाई जा रही है कि उन्हें इस काम के लिए कितनी राशि मिली हो सकती है।
रिपोर्ट में आगे कहा है कि, केरल पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिक आरोप मिले हैं। पुलिस की योजना सहित कई जानकारी लीक होने के संबंध हैं। मुन्नार थाने से इसी तरह के आरोप में एक एसआई समेत तीन पुलिसकर्मियों का तबादला कर दिया गया। ऐसे में केरल पुलिस के अधिकारियों के पीएफआई से कनेक्शन को लेकर आने वाले दिनों में कई और खुलासे हो सकते हैं।
पीएफआई पर पिछले हफ्ते सरकार ने वैश्विक आतंकी संगठनों के साथ कथित रूप से ‘लिंक’ रखने और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश करने के लिए पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। संगठन पर देश के सांप्रदायिक और धर्मनिरपेक्ष ताने बाने को ‘डिस्टर्ब’ करने और अपनी कट्टरपंथी विचारधारा को आगे बढ़ाने और भारत में राजनीतिक इस्लाम की स्थापना का आह्वान करने के अलावा कथित रूप से लक्षित हिंदू कार्यकर्ताओं की हत्याओं को अंजाम देकर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करने का आरोप लगाया गया है।
जानकारी के लिए बता दें कि केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और इससे जुड़े 8 संगठनों पर 5 साल के लिए प्रतिबंध कर दिया है। गृह मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में कहा कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और 8 संबद्ध संगठनों को वैश्विक आतंकवादी संगठनों से संबंध रखने और कई आतंकी मामलों में शामिल होने के लिए प्रतिबंधित किया गया है। एनआईए और प्रवर्तन निदेशालय के अलावा अन्य एजेंसियों ने 22 सितंबर को 15 राज्यों में छापेमारी की थी और 247 लोगों को गिरफ्तार किया था।
देशभर की न्यायपालिका सहित, यदि कोई जज, CJI गवई की तरह किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त है तो यह जान लीजिए कि जिस संविधान की आए दिन रट लगाए बैठे हो ?ये संविधान तभी तक सुरक्षित है, तथा इस संविधान का सम्मान तभी तक कायम है जब तक देश में हिन्दू है ? इस्लाम में संविधान नहीं, आपके कथित संवैधानिक न्यायालय नहीं, “शरिया अदालतें” चलेगी, जिसमें आपका कथित मानव अधिकार भी नहीं चलेगा, जिस मानव अधिकार का उपयोग आप रोहिंग्या,बंगलादेशियो,घुसपैठियों के लिए कर रहे है ? संविधान,मानव अधिकार, मात्र तभी तक सुरक्षित है जब तक हिन्दू है ? ये बात अलग है कि सेक्युलर के वेश में किसी CJI ने पहले से पायजामा पहन लिया है तो भी अपनी निजी आस्था,विचारधारा को हिंदुओं पर न थोपे ! क्योंकि, आप न्याय की कुर्सी पर विराजमान है और ये तभी संभव हुआ है कि हिंदुओं ने अभी तक संविधान को सुरक्षित रखा है !
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