हिट एंड रन कानून की समीक्षा !

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ सहित देश के ड्राइवरों का समूह आक्रोशित है कि केंद्र सरकार ने हिट एंड रन मामले में दस साल की सजा सहित 5लाख के जुर्माने का प्रावधान किया है ! आओ इसकी समीक्षा करते है !

हमे एक बहुत पुराना मामला याद आता है जिसमे भारी वाहन चालक द्वारा दुर्घटना में किसी व्यक्ति की जान चली गई थी और उसे सजा मिली थी, आरोपी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट तक गया था और दलील दिया था कि मौके का कोई भी प्रत्यक्षदर्शी न होने के वावजूद प्रकरण में यह मान लिया कि भारी वाहन चालक की लापरवाही पूर्वक उक्त दुर्घटना घटी और व्यक्ति की जान गई ? आरोपी ड्राइवर की यह दलील थी कि मात्र भारी वाहन होने की वजह से यह क्यों मान लिया गया कि दुर्घटना की वजह भारी वाहन चालक की ही गलती है ?जबकि निचली अदालत से सजा पाए ड्राइवर का कहना था कि बाइक चालक अपनी गलती से अचानक गाड़ी के सामने आया और भारी वाहन चालक ने उसे बचाने की भरपूर कोशिश की उसके वावजूद दुर्घटना घटी, और बाइक चालक की गलती होते हुए भी भारी वाहन की गलती मानकर उसे सजा दी गई है ! मात्र इसलिए कि मैं भारी वाहन चालक हूं, और अनुमानित आशय से कि गलती मेरे द्वारा ही की गई होगी ? सजा का यह आधार उचित नहीं है ? इस मामले में अपील कर्ता ड्राइवर को सुप्रीम कोर्ट ने बरी किया था और सुप्रीम कोर्ट में इस पर विचार हुआ कि दुर्घटना में हमेशा बड़े वाहन को ही दोषी मान लिया जाता है, मसलन बाइक और कार की दुर्घटना में अक्सर कार चालक को ही दोषी माना जाता है,इसी प्रकार कार और ट्रक की दुर्घटना में ट्रक चालक को ही दोषी माना जाता है, वजह कम दिमाग वाले पुलिस जांच अधिकारी द्वारा की गई जांच या भ्रष्टाचार बड़ी वजह होने के साथ साथ वैज्ञानिक तरीके से जांच का अभाव और भारत में CCTV व्यवस्था का अभाव ! टोल टैक्स भारी भरकम लेकिन सुविधा और कानूनों का पालन नगण्य !

सड़क दुर्घटनाओं के मामलो में केंद्र सरकार द्वारा हिट एंड रन के मामलो में सलमान खान के मामले से अच्छा उदाहरण कोई हो नही सकता, जब फुटपाथ पर सोए लोगो पर रात के अंधेरे में लोगो को रौंद दिया गया और किसी को सजा नही हुई ! मरने वाले मर गए, दुर्घटना भी हुई, लेकिन जिम्मेदार कोई नही !

सड़क दुर्घटनाओं में भ्रष्टाचार की बहुत बड़ी भूमिका है, मसलन, बिना कुशलता, योग्यता के ड्राइविंग लाइसेंस मिल जाना, दुर्घटना होने पर वैज्ञानिक तरीके से निष्पक्ष जांच का नही होना, और अक्सर भारी वाहन चालक को ही दुर्घटना का जिम्मेदार मानना भले ही गलती छोटे वाहन चालक की ही क्यों न हो ?सड़को पर सीसीटीवी का न होना, ये कुछ सवाल है जिनका जवाब और निदान किसी के पास नही ? नए कानून से सभी वाहन चालकों में अतिरिक्त सावधानी का भाव और कानून में दस साल की सजा का भय जरूर उत्पन्न होगा ! ओर अभी तक जो भी वाहन चालक यह सोचकर लापरवाही पूर्वक वाहन चलाया करते थे कि कुछ हजार रु जुर्माना होगा, इससे अधिक कुछ नही, वो जरूर अत्यधिक सचेत होकर वाहन चलाया करेगे !

यह सर्व विदित सत्य है कि कानून जितने कड़े होंगे घुस के रेट उतने अधिक होंगे?अब होगा यह कि दुर्घटना के मामलो में पुलिस जांच अधिकारी के घुस के रेट अत्यधिक बढ़ जायेगे क्योंकि वाहन चालक दस साल की सजा के डर से शुरू में ही अभियोजन को कमजोर करने हेतु बड़ी बड़ी घुस देने का सिलसिला शुरू होगा और जांच अधिकारी अपनी जांच रिपोर्ट में दुर्घटना का असल जिम्मेदार की गलती को न बताकर पीड़ित या अन्य किसी वाहक चालक की गलती से हुई दुर्घटना की जांच रिपोर्ट बनाया करेगे ?

कुल मिलाकर जनसामान्य के प्राणों की रक्षार्थ,और अत्यधिक सावधानी से जबाब देही पूर्ण वाहन चलाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए हिट एंड रन मामले में दस साल की सजा के प्रावधान का हम समर्थन करते है !

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