हमने तो सुना था कि पुलिस किस की ?सत्ता जिस की ?लेकिन …

हमने तो सुना था कि पुलिस किस की ?सत्ता जिस की ?लेकिन …

बिलासपुर : हमने तो सुना था कि पुलिस किस की ?सत्ता जिस की ? का आशय यह है कि सत्ता की नीतियों, इच्छाशक्ति के अनुसार पुलिस काम करने लगती है ? थाना सिविल लाइंस का ताजा उदाहरण इस मामले में अधिक सार्थक होगा कि किस तरह बिलासपुर हाईकोर्ट ने थाना सिविल लाइंस के ASP को कांग्रेसी सत्ता की इच्छाशक्ति में अकबर खान के खिलाफ  FIR दर्ज न कर आईपीसी का मजाक उड़ाया था ?

लेकिन,छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के साथ साथ सीएम विष्णुदेव साय के अभी दो चार दिन पहले ही पुलिस के उच्च अधिकारियों की मीटिंग में अपनी सत्ता की मंशा और इच्छाशक्ति स्पष्ट कर दी थी कि अपराधो की रोकथाम के लिए संबंधित एसपी सहित थाना प्रभारी जिम्मेदार होंगे फिर भी पुलिस क्यों गंभीर अपराध घटने का इंतजार करती है क्यों समय रहते कार्यवाही नही करती कि नामजद आरोपियों  संभावित अपराध की स्पस्त मंशा जाहिर करने के बाद भी किसी की हत्या होने पर ही कार्यवाही करेगे ?

देवरी खुर्द में 2 दिन पहले नाबालिक बच्ची को जबरन भगा कर ले जाने पर पुलिस ने तब तक कोई कार्यवाही नहीं की थी जब तक की हिंदू संगठनों के लोगो ने हस्तक्षेप नहीं किया था, हिंदू संगठनों के लोगो द्वारा हस्तक्षेप करते ही मांझी परिवार को उनकी नाबालिक बच्ची तो सकुशल वापिस मिल गई लेकिन अब आरोपियों के रिश्तेदारों सहित मुस्लिमो द्वारा माझी परिवार को शिकायत वापिस लेने हेतु जान से मारने की धमकी दी जा रही है, इस समुदाय का इतिहास रहा है कि ये सिर्फ बोलते ही नही है बल्कि चाकूबाजी या सर तन से जुदा करने में भी देर नहीं करते ? पुलिस यदि समय रहते आरोपियों सहित धमकी देने वालो के खिलाफ सख्त कार्यवाही सहित थर्ड डिग्री की समझाइश दे तो निकट भविष्य में किसी प्रकार की गंभीर जानलेवा घटना समय रहते रुकने किसी की जान बच सकती है ? की नही ?

सवाल यह है कि स्पष्ट रूप से मामले की वजह और नामजद शिकायत होने के वावजूद पुलिस ढीला रवैया आरोपियों के प्रति क्यों अपनाती है ? क्या वाकई पुलिस गंभीर अपराधो को घटित होने से पहले रोकने के लिए मुश्तेद है ?या पुलिस की कार्यवाही भी चेहरा और राजनीतिक पहुंच का पैमाना देख कर हो गया है ? क्या पुलिस इस आदत में शुमार हो गई है कि जब तक सांप्रदायिक घटना में पीड़ित हिंदुओ के पक्ष में हिंदू संगठनों का प्रयाप्त संख्या बल थानो में धावा नही बोलेगा तब तक पुलिस पीड़ित हिंदू परिवार को न्याय दिलाने हेतु पीड़ित हिंदू परिवार को एक धर्म विशेष के आरोपियों द्वारा दी रही जान से मारने की धमकियों पर कोई कदम नहीं उठाएगी ? देवरी खुर्द के पीड़ित मांझी परिवार को मुस्लिम आरोपियों  द्वारा शिकायत वापिस न लेने पर जान से मारने की धमकी पर पुन : कार्यवाही हेतु आज पीड़ित मांझी परिवार के साथ हिंदू संगठनों के लोग

जिनमे समीर शुक्ला, राजेंद्र सिंह, विवेक पांडेय,माधव सिंह, देवेश जी, पावन निर्मलकर,प्रकाश विश्वकर्मा, नरेंद्र शर्मा ,अभिषेक गोयल, विशाल डंगवानी, प्रकाश ठाकुर, दिव्यांश रजत , सूरज साहू ,आर्यन मानिकपुरी समस्त हिंदू समाज उपस्थित थे

इन्होने पुन: थाना प्रभारी थाना तोरवा में शिकायत की है कि पीड़ित परिवार को लगातार, आरोपियों और उनके सहायोगियो द्वारा शिकायत वापिस नही लेने पर जान से मारने की धमकियां दी जा रही है, देखना यह होगा कि पुलिस माझी परिवार की इस शिकायत को कितनी गंभीरता से लेते हुए क्या कार्यवाही करती है ?

हमने तो सुना था कि, पुलिस किस की ?सत्ता जिस की ? लेकिन प्रतीत होता है कि बिलासपुर की पुलिस अभी भी कांग्रेसी मानसिकता के साथ काम कर रही है ?

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