उतर भारत में आंदोलन किसानों का या ? रंग तो कुछ और बताता है ?
बिलासपुर : आजकल राजनीतिक दलों सहित विभिन्न समुदायों विशेष की पहचान, झंडो के रंग बताते है कि कौन किस विधारधारा से है ?
वही कुछ समुदायों की वेशभूषा उनकी विशेष पहचान बताती है !
यदि आप उतर भारत में प्रस्तावित किसान आंदोलन में शामिल किसानों की वेशभूषा,उनके वाहनों के रंग, उनके झंडो के रंग देखेगे तो कही से भी नही लगता कि ये सामान्य किसान है / ये सामान्य विचारधारा वाले किसान है ?
यदि आप धरातल पर सच की तहकीकात करेगे कि उतर भारत में आंदोलनकारी किसानों की आर्थिक स्थिति की वास्तविक स्थिति है क्या ?तो आपको पता चलेगा कि हरियाणा के किसानों का पैसा, उनके आढ़तियों के पास ब्याज में चलता है ! वही पंजाब के अधिकांश किसान अपनी युवा पीढ़ी के नशे से परेशान है, आय पंजाब के किसान की भी कम नहीं है !
उतर भारत के किसान ही हर बार आंदोलन करते है वो भी चुनाव के समय ?क्योंकि देश विरोधी ताकतें इनको फंडिंग करती है और इनका एकमात्र लक्ष्य मोदी को सत्ता विहीन करना है !
इतने सारे किसान आंदोलन, वो भी ऐन चुनाव के वक्त 2014 के पहले की सत्ता में क्यों नही हुए ?
किसान तो देश के सभी राज्यों में है फिर केवल उतर भारत का किसान ही आंदोलनकारी क्यों ?क्योंकि, भूखे पेट न विरोध किया जा सकता है और न कोई आंदोलन, इनको विदेशी फंडिंग मिलती है और ये खुद भी इतने सम्पन्न है कि एकाध साल खेती नही भी करेगे तो इनको कोई फर्क पड़ने वाला नही तो फिर गरीब,मजबूर, किसान है कौन ?
हालांकि, मैं कम दिमाग वाला हूं,फिर भी हमारा निजी विश्लेषण यही बताता है कि उतर भारत में आंदोलनकारी किसानों की दस मांगो में से एक मांग बिलकुल जायज है कि नकली,खाद, बीज, दवा कंपनियों और कारोबारियों पर सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए,बिलकुल होनी चाहिए, और सरकार संभवत : चंडीगढ़ में कल होने वाली किसानों के साथ बातचीत में किसानों इस जायज और अति महत्वपूर्ण मांग को मान भी लेगी ?
इस खबर का तड़का यह है कि “हरे रंग में रंगे” उतर भारत के आंदोलनकारी किसान किस विशेष विचारधारा के लोग है ? जांच यह भी जरुरी है ?






