FIR प्रक्रिया की जानकारी के अभाव में पुलिस पर आरोप निराधार !
होटल हेवंस पार्क में हुई मारपीट के संबंध में प्रार्थी द्वारा थाना प्रभारी पर लगाए गए आरोपों का वीडियो कथित आरोपी द्वारा मिडिया के माध्यम से वायरल कराया गया है कि उनके बताए अनुसार FIR दर्ज नही की गई !
FIR आजकल ऑनलाइन टाइप कर,यदि मामला संवेदनशील /महिला अपराध की श्रेणी का नही है तो तत्काल पुलिस पोर्टल्स पर भी ऑनलाइन कर दी जाती है और इस ऑनलाइन FIR का प्रिंट निकालकर कई प्रतिलिपिया जो अभियोजन की कानूनी आवश्यकता है उन सभी प्रतिलिपियो पर प्रार्थी के हस्ताक्षर कराए जाते है, यदि प्रार्थी हस्तक्षर करने से पहले भाषा विवरण /ड्रफ्टिंग में कुछ फेरबदल या कोई विवरण दर्ज कराया जाना टाइप करने वाले पुलिस स्टाफ के संज्ञान में लाता है तो उस FIR को ऑनलाइन करने से पहले उसमे सुधार भी किया जाता है मसलन प्रार्थी द्वारा घटना बताने में कुछ छूट गया हो ?
इसलिए, आज लगभग 4 दिन बाद प्रार्थी द्वारा यह कहना की पुलिस ने प्रार्थी के बताए अनुसार FIR में नही लिखा तो अविश्वसनीय है, FIR की एक प्रतिलिपि प्रार्थी को तत्काल मिलती है !
मुलाहिजा करने वाले डॉक्टर ने चोट का सही उल्लेख नहीं किया यह डॉक्टर की लापरवाही जरूर दर्शाती है, डॉक्टर पर उचित कानूनी कार्यवाही होना ही चाहिए ! लेकिन, पुलिस पर आरोप सही प्रतीत नही होते है ?किसी भी पीड़ित / प्रार्थी को FIR के तुरंत बाद जो प्रतिलिपि मिलती है प्रार्थी पीड़ित को हस्ताक्षर करने से पहले अच्छी तरह पढ़कर हस्ताक्षर करना चाहिए !
