मोनी बाबा हाजिर हो,बता दो देश को ये किस का बोया बीज हुआ अंकुरित?
योगी जी को बदनाम करने वाले अपने मोनी बाबा (मनमोहन सिंह) के अतीत में बनाए कानून को याद कर लो !
हंगामा क्यों है बरपा? नाम जो पूछ लिया है ?
ये क़ानून तो 2006 में ही बन गया था। सरकार थी,कांग्रेसियों की, ओर PM थे मनमोहन सिंह ! फिर से 2011 में नियम बनाए गए कि फूड लाइसेंस अनिवार्य है, ओर FOOD लाइसेंस आवेदन की शर्तो के अनुसार सभी ढाबा और रेस्टोरेंट मालिकों को अपना नाम और लाइसेंस नंबर बड़े अक्षरों में लगाना होगा ताकि ग्राहक आसानी से देख सकें..
इन सभी देशद्रोहियों के ज्ञान चक्षु आज अचानक क्यों खुल गए हैं? कानून बनाया कांग्रेस ने,कांग्रेस द्वारा बोया गया बीज अब जाकर हुआ अंकुरित तो ये ही कांग्रेस इसे सांप्रदायिक बताने लगी, चित भी आपकी पट भी आपकी ?ऐसा थोड़े ही होता है ?
2006 में कांग्रेसी कानून और 2011 के नियम को सख़्ती से पालन ही तो करवाया जा रहा है।
सवाल ये है कि ये सेक्युलर चश्मा 13 साल बाद काहे लगाया जा रहा है?
GST नंबर धारक व्यवसायियों के लिए भी यही नियम है कि दुकान के बोर्ड पर साफ साफ लिखा होना चाहिए GST नंबर, GST नंबर धारक का नाम, फर्म का नाम ! इस प्रावधान में तो किसी को दिक्कत नही ?
दारू दुकान में भी आबकारी विभाग का ये ही नियम है कि आबकारी लाइसेंस, ठेकेदार का नाम,दारू दुकान का नाम /फर्म का नाम लिखना अनिवार्य है,इसमें तो किसी को कोई दिक्कत क्यों नही !
विकास कार्यों में प्रत्येक शासकीय ठेके में भी ये ही नियम है, योजना का नाम, ठेके की राशि,ठेकेदार का नाम, विकास कार्य का विवरण, टेंडर क्रमांक,सब लिखकर बोर्ड लगाना होता है !
शुक्र है योगी जी ने कई पीढ़ी पहले के नाम नही पूछे ? नाम बताने में शर्मिंदगी कैसी ? इसका मतलब नाम “बदनाम” है ? जिसे बताने में शर्मिंदगी महसूस होती है ? फिर क्यों ऐसा काम करते हो ?



