देश में सर्वाधिक सरकारी जमीन 7करोड़ एकड़ चर्चों के पास?इन्हें मुक्त कराने की जरूरत !

देश में सर्वाधिक सरकारी जमीन 7करोड़ एकड़ चर्चों के पास?इन्हें मुक्त कराने की जरूरत !

देश में फैलाया गया सत्य यह है ही नहीं, कि, पहले नंबर पर सेना के पास जमीन है, दूसरे नंबर पर रेलवे के पास है और उसके बाद तीसरे नंबर पर सर्वाधिक जमीन वफ्फ के पास है ?यह असली सच नहीं है !

सरकार,रेलवे,ओर वफ्फ की संयुक्त जमीन से भी अधिक जमीन लगभग 7 करोड़ एकड़ जमीन तो कैथोलिक चर्च के पास है !

धर्मांतरण के मुद्दे पर काम कर रहे हिन्दू संगठन लगातार चिंतन करते रहते है ईसाई समुदाय के पास इतनी दौलत आती कहा से हैं कि देशभर में लोगों को आर्थिक लालच, शिक्षा ओर मेडिकल सुविधाओं के बदले धर्मांतरण को अंजाम दिया जा रहा है ?तो असली फंडिंग इन जमीनों से है जो किराए के रूप में हो सकती है या जमीनों की बिक्री या लीज पर देने से हो सकती है !विशेष पहलू यह है कि सभी शहरों में स्थित सिविल लाइंस क्षेत्र जो समय के साथ पोश एरिया बन चुके है, ईसाइयों की अधिकांश जमीनें इन्हीं क्षेत्रों में है !

देश के हिन्दू RTI एक्टिविस्टों को अब बड़ी भूमिका में आना चाहिए, ओर अपने अपने क्षेत्रों में कैथोलिक समुदायों की जमीनों के संबंधों में जानकारी एकत्रित करनी चाहिए, हमारा अनुमान है कि अंग्रेजों द्वारा दी गई लीज इन सभी जमीनों की समाप्त हो चुकी है और सरकार के एक पुराने कानून अनुसार अंग्रेजों द्वारा लीज पर दी गई कैथोलिक समुदाय को ये जमीनें सरकारी जमीन है ! इनकी निजी जमीन नहीं, सभी जमीनों को खाली करवाने की जरूरत है जो कि ईसाई समुदाय के बड़े आर्थिक स्रोत को बंद करेगा और धर्मांतरण के लिए खर्च होने वाले धन पर रोक लगेगी तो धर्मांतरण होगा कैसे बिना पैसे के ? सभी हिन्दू RTI एक्टिविस्टों और हिन्दू संगठनों को देशभर में बड़े पैमाने पर इस समुदाय को आवंटित जमीनों की जानकारी का डाटा एकत्रित करने की जरूरत है फिर होगा अगला कदम ?

देश में वफ्फ बोर्ड इसलिए मुख्य मुद्दा बना, क्योंकि वफ्फ बोर्ड द्वारा वफ्फ एक्ट के दुरूपयोग के मामले दिनोदिन लोगो की नजर में आने लगे, वफ्फ बोर्ड की अकर्मण्यता खुलकर सामने आने लगी, कभी भी किसी भी गांव पर, जमीन पर वफ्फ बोर्ड मनमाने दावे करने लगा ? तो स्वाभाविक है लोगो के बीच ओर सरकार के लिए किरकिरी बनना ही था !

ईसाई समुदाय द्वारा जितनी जमीनों पर कब्जा है इन्होंने ओर अधिक जमीनों पर कब्जे करने के अपने अभियान में कोई रुचि नहीं दिखाई, हालांकि इक्का दुक्का प्रकरण जरूर सामने आए जहां ग्रामीण क्षेत्रों में जहां इनकी चर्च नहीं थी या इनके पास सरकारी जमीन नहीं थी तो इन्होंने SDM के यहां आवेदन देकर सत्ता ओर प्रशासन की सहायता से कभी प्रार्थना भवन के नाम पर तो कभी कब्रिस्तान के नाम पर सरकारी स्तर पर जमीनों के पट्टे आवंटित करवाए !लेकिन ऐसी जमीनों का क्षेत्रफल इनके पास पहले से मौजूद 7 करोड़ एकड़ जमीनों का 10% भी नहीं है ?

कई हिंदुओ की निजी राय तो यही हैं, कि, हिंदूवादी संगठन कहा अपना घर वापसी ओर धर्मांतरण रोको जैसे कार्यों में अपनी ऊर्जा,समय,धन,शक्ति,संसाधन जाया कर रहा है, अंग्रेजों के जमाने में आवंटित ये जमीनें सरकार वापिस लेवे, इस ओर हेतु बड़े आंदोलन कर सरकारों पर दबाव बनाना चाहिए ! जब इनके आर्थिक स्रोत पर प्रहार होगा तो धर्मांतरण अपने आप रुक जाएगा !

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