हिंदुत्व का उदय?लिखना नहीं चाहिए?लेकिन,

हिंदुत्व का उदय?लिखना नहीं चाहिए?लेकिन,

हिंदुत्व का उदय, लिखना नहीं चाहिए, लेकिन लिखना इसलिए पड़ रहा है कि जब जब हिंदुत्व पर बड़े बड़े हमले हुए केवल तब तब “RISE OF HINDUTAVA” हुआ, जैसे ही अनेक विदेशी आक्रांताओं के युद्ध से निपटे, जितनी भी कम संख्या क्यों न बची हो ?हिंदुओ का हिंदुत्व सुषुप्त अवस्था में चला जाता है ! क्योंकि, भारत को तोड़ने वाले देश विरोधी षड्यंत्रकारी तत्व इतना झूठा प्रचार प्रसार करते है कि हिन्दू झूठ को भी सच मान लेता है ! हिन्दू हर बार संगठित अनुशासित,देश विरोधी षड्यंत्रकारी

ताकतों का शिकार हुआ है ! जो कभी जातिवाद,भाषावाद,क्षेत्रवाद के नाम पर दुष्प्रचार कर, कभी नहीं चाहते कि भारत का हिन्दू संगठित रहे, ताकतवर रहे !

आधुनिकता के नाम पर वर्तमान में जनजाति समाज को हिंदुत्व से अलग करने का षड्यंत्र जोरो पर है, हिंदुओ की विभिन्न जातियों, समुदायों की उनकी स्थापित परम्पराओं से अलग किया जा रहा है ! देश विरोधी ताकतों को मालूम है कि जब भारत के हिंदुओ की सांस्कृतिक पहचान, परम्पराओं से हिंदुओ को दूर नहीं किया जायेगा? हिंदुओ के दिलो दिमाग से पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली सांस्कृतिक विरासत को नष्ट किया जा सकता इसलिए हिंदुत्व विरोधी ताकते लगातार सक्रीय है कि कैसे हिंदुओं के तीज त्यौहारों,धार्मिक उत्सवों में विघ्न पैदा किया जाए ?कैसे हिंदुओं को उनकी शोभायात्राएं निकालने से रोका जाए ? दशहरा में रावण दहन का विरोध, होली में होलिकौत्सव /होलिका दहन का विरोध इतना ही नहीं, नवरात्रि में महिषासुर का वध करते हुए मां दुर्गा प्रतिमा की स्थापना का विरोध भी जारी है !

इन सामयिक प्रहारों सहित हिन्दू विरोधियों का हिन्दू समुदाय जमकर टक्कर देने को जागृत हुआ है ! जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि, सुषप्त अवस्था में पड़े हिंदुओ का हिंदुत्व, फिर से “हिंदुत्व का उदय” हो रहा है !

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