सावधान,सरकारी मानव अधिकार आयोग नाम के अनुरूप नामधारी संगठनों से सावधान !

व्यापक

जनहित में लिख रहे है,जनता को सावधान कर रहे है, फिर मत बोलना कि, अक्ल नहीं थी, ठगे गए ?
बिलासपुर में भी चल रहा है ये गोरखधंधा !
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पूरे देश में मात्र एक राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का कार्यालय दिल्ली में है, जो सरकारी कार्यालय है, इसमें अध्यक्ष सरकार द्वारा नियुक्त रिटायर जज होता है !
देश के सभी राज्यों में एक एक
राज्य मानव अधिकार आयोग होता है, ये भी सरकारी विभाग है !
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लेकिन, देशभर में मानव अधिकार आयोग के समानांतर नाम रखकर बहुत सारे लोगों ने सोसाइटी एक्ट के अंतर्गत पंजीयन कराकर जनता को गुमराह कर रहे है तथा पूरे देश में सदस्य /पदाधिकारी नियुक्त करते है, जिसके आई कार्ड शुल्क एवं सदस्यता शुल्क से ही लाखो रू प्रतिमाह की कमाई होती है, ओर ये ऐसी कमाई है जो लगातार होती रहेगी, प्रतिवर्ष होती रहेगी, क्योंकि एक साल बाद फिर से सदस्यता को रिनीवल भी करवाना है !
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ऐसी संस्था के संचालक एकाध पुलिस में पकड़े गए व्यक्ति के साथ मदद के नाम पर थाना चले गए, फोटो खींचे, ओर देशभर में वायरल करते हुए बताते है कि देखो, हमारी संस्था ने अमुक व्यक्ति के मानव अधिकारों की रक्षा किया, ऐसी अनेकों कहानियों बनाते है ताकि लोग अधिक से अधिक सदस्य बने, लोग सरकारी वाला राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग समझकर सदस्य बनते है ! क्योंकि नाम ही सरकारी मानव अधिकार आयोग से मिलता जुलता होता है !
इस संबंध में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने कई दशक पहले देशभर के समाचार पत्रों में बकायदा विज्ञापन देकर लोगो को इन मिलते जुलते नाम वाले कथित मानव अधिकार संगठनो से सावधान रहने हेतु आगाह भी किया था, अब रोज रोज कोई सरकारी संस्थान थोड़े ही विज्ञापन देता रहेगा ?
इनका अधिकांश का, मुख्य काम देशभर में अधिक से अधिक सदस्य बनाना, सदस्यता शुल्क ओर आई कार्ड शुल्क से आय करना होता है ! ओर प्रतिवर्ष रिनीवल शुल्क से नियमित आय का इंतजाम !
दिल्ली में सोसायटी एक्ट के अंतर्गत पंजीयन कराने की बहुत बड़ी सुविधा यह है कि एक तो दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर का पंजीयन करा सकते हो, दूसरी वजह यह है कि दिल्ली में सरकारी पंजीयन शुल्क बहुत कम 50/100 रु ही है !
विडंबना यह है कि, सामान्य लोगो की अपेक्षा, विधि ज्ञानी भी इस तरह के संगठनों में न केवल सदस्य बन रहे है बल्कि, भंडारे की तरह बंटने वाले पद पर पदाधिकारी भी बन रहे है !
फायदा, सिर्फ जनसामान्य को या वाहन पर या घर पर नेम प्लेट लगाने के लिए कि, मै कथित मानव अधिकार संगठन का अमुक पदाधिकारी हूं, पुलिस सब जानती है इनसे प्रभावित नहीं होती है बल्कि ये लोग ज्यादा नाटक करते है तो पकड़कर अंदर कर देती है, फिर इनका सदस्यता शुल्क लेने वाला दिल्ली वाला भी इनको बचाने नहीं आता है !
अतीत में छत्तीसगढ़ से उड़ीसा जाकर इसी तरह एक व्यक्ति 500/500 में सदस्य बना रहा था, तो कई दिन उड़ीसा की जेल में रहा, कई साल छत्तीसगढ़ से पेशी पर जाता रहा, बाद में क्या हुआ पता नहीं ?
बिलासपुर में सरकंडा क्षेत्र में ऐसा ही एक व्यक्ति विनोद राजपूत, ऐसे ही कथित मानव अधिकार संगठन की सदस्यता ओर पदाधिकारी पद प्रसाद की तरह बांट रहा है ! ओर सदस्य बना रहा है !
विनोद राजपूत द्वारा हमें प्रभावित करने और सदस्य बनने हेतु आमंत्रण के तहत विनोद राजपुर द्वारा हमें भेजे गए संदेश का स्क्रीन शॉट लगा रहे है !
व्यापक जनहित में प्रसारित उपरोक्त जानकारी पश्चात भी ऐसी संस्थाओं में कोई सदस्य या पदाधिकारी ये सोचकर बनता है कि, ये सरकारी वाला “मानव अधिकार आयोग होगा ? तो मुगालते में न रहे ! आगे आपकी मर्जी ? हमने व्यापक जनहित में जानकारी देना उचित समझा !
बिलासपुर के एक व्यक्ति राजेश सेठ ने दिल्ली से एक NGO पंजीयन कैसे कराया हम बताते है, हमारे पास पूरे कागजात है, किसी दलाल को ठेके पर दे दिया NGO पंजीयन कराने का काम, राजेश सेठ ने खुद का नाम, पत्नी का नाम, ओर अपने एक रिश्तेदार का नाम एवं ID तो सही लगाया, क्योंकि अध्यक्ष,उपाध्यक्ष, केशियर जैसे अति महत्वपूर्ण पद पर विराजमान जो होना था ! उस दलाल ने बाकी सदस्यों की ID किसी फोटो कॉपी दुकान से लिया ओर NGO पंजीयन करवाकर, राजेश सेठ को घर बैठे पंजीयन प्रमाण पत्र भेज दिया ! सब दस्तावेज है हमारे पास, ये होता है दिल्ली में, ?
