प्रेस क्लब चुनाव बना सरकारी जमीन आवंटन का अखाड़ा !
बिलासपुर, प्रेस क्लब का 2023 से 2025 का कार्यकाल पर कई आरोपों का सामना कर रही कार्यकारिणी अपने एक पेनल जिसका नाम आशीर्वाद पेनल है ! लेकिन,विकास पेनल के दावों के अनुसार अबकी बार आशीर्वाद पेनल को प्रेस क्लब के सदस्यों का आशीर्वाद नहीं मिलना तय मिलना माना जा रहा है ! कारण, कई आरोपों से घिरा वर्ष 2023 से 2025 तक का संदिग्ध कार्यकाल है,जिसमें पारदर्शिता का,निष्पक्षता का अभाव, लेखा जोखा प्रस्तुत नहीं करना भी शामिल है ! 2023 का चुनाव झूठे, कोरे आश्वासन के आधार पर जीतना ! मनमाफिक सदस्य बनाकर, ऐसे लोगों को सदस्य बनाया गया जिनका पत्रकारिता से कोई नाता नहीं है,
किसी भी सार्वजनिक संगठन पर काबिज होने का मतलब होता है संगठन हिताय सेवा, लेकिन यहां तो जमीन रूपी मेवा की भूमिका अधिक नजर आती है !,
भूपेश ये क्या कर गया?भूमि के लालच में प्रेस क्लब को अखाड़ा बना गया ?
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भूपेश सरकार के कार्यकाल में बिलासपुर प्रेस क्लब को पत्रकारों के लिए सरकारी भूमि आवंटन किया गया !
प्रेस क्लब के
सन 2023 के चुनावों में भूमिहीन पत्रकारों के असंतोष के कारण, तत्कालीन प्रेस क्लब अध्यक्ष के पक्षपात पूर्ण रवैए के कारण तत्कालीन अध्यक्ष को अपना पद गंवाना पड़ा था,फिर उदय हुआ एक झूठ का धोखे का कि सभी असंतुष्ट भूमिहीनों को जमीन दूंगा ?के वायदे के साथ सुनहरा सपना दिखाकर 2023 चुनाव में एक नई कार्यकारिणी का उदय हुआ,जो धोखा साबित हुआ ! 2023 में निर्वाचित लोगों द्वारा 2025 का चुनाव भी उसी तर्ज पर लड़ा जा रहा है जिस तर्ज पर इंदिरा गांधी ने गरीबी हटाओ का नारा देकर देशभर के गरीबों को सुनहरा सपना दिखाया था और लगातार इसी झूठ के साथ इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी तक,सच से दूर, इसी चुनावी नारे के सहारे कई चुनाव जीतते रहे,किसी की गरीबी दूर नहीं हुआ,बल्कि उस समय की गरीबी दूर होगी कि आश रखने वाले वाली पूरी पीढ़ी खत्म हो गई !
ये तिस्लम अब शगल बन गया है प्रेस क्लब चुनाव का, भूमिहीनों को जमीन दूंगा के झूठे सपने के तहत 2023 वाली निर्वाचित कार्यकारिणी फिर अपनी झूठ की हांडी फिर एक बार चढ़ाने को आतुर है,
लेकिन,भूमिहीनों के बीच विश्वास खो चुके ये लोग पिछली बार 2023 में तो झूठ का समर्थन कर धोखा खा चुके लोगों ने अबकी बार अपना एक अलग “विकास पेनल”
बनाकर झूठ वर्सेज सच की लड़ाई को चुनावी मुद्दा बना दिया ! प्रेस क्लब के भूमिहीन सदस्य अब किसी झूठ के बहकावे में नहीं आने वाले,
जिससे पूर्व कार्यकारिणी अपने झूठ का पर्दाफाश होते देख नए नए तरीकों से चुनावी जोर आजमाइश में सदस्यों को यकीन दिलाने के लिए आनन फानन में भूमिहीन सदस्यों की बैठक बुलाए जिसमें एक पर्चा /काग़च लहराकर फिर उसी झूठ को दोहराया कि सभी भूमिहीन सदस्यों को जमीन दी जाएगी, लेकिन,एक मीडिया संस्थान का चुनाव है इस सच को भूल गए कि मीडिया पारदर्शिता के साथ सबूत चाहिए होते है किसी को भी उक्त परचा रूपी कागज में क्या लिखा है किसी भी पत्रकार को उस कागज की फोटो नहीं लेने दिया ! क्यों ?
जबकि, विकास पेनल के प्रत्याशियों ने प्रेस क्लब के सभी भूमिहीन पत्रकारों को पूरी पारदर्शिता,निष्पक्षता के साथ जमीन आवंटन का वायदा कर, विपक्षी प्रत्याशियों के खिलाफ चुनावी मुद्दे को,मुकाबले को रोचक बना दिया !
अब प्रेस क्लब के मतदाताओं पर निर्भर करता है कि,एक बार फिर से झूठ की हांडी पर विश्वास कर मुगालते में रहकर मतदान करते है या विकास पेनल की पारदर्शिता,निष्पक्षता पर “,मुहर” लगाकर विकास पेनल के प्रत्याशियों को विजेता बनाते है !
इंतजार कीजिए,19/09/25 को चुनाव परिणामों का, कि, मतदाता विकास पेनल के सच,पारदर्शिता,निष्पक्षता को विजेता बनाते हैं या बार बार चढ़ रही झूठ की हांडी ? भूमिहीन पत्रकारों को
जमीन दूंगा,जमीन दूंगा बोलकर एक बार तो पिछला चुनाव जीत लिया लेकिन क्या मतदाता फिर दुबारा विश्वास करेंगे ? शायद नहीं ?
