कानून सबके लिए समान है तो फिर मैं भी विकलांग हूं ?
यदि कानून सबके लिए समान है तो मैं भी विकलांग हूं ?
हमने इसलिए लिखा है कि,दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला यदि एकमात्र व्यक्ति विशेष के लिए नहीं है तो सभी पर लागू होना चाहिए ? फिर तो मुझ (बीपी शुगर पीड़ित) सहित देश के बीपी शुगर से पीड़ित लगभग 40 करोड़ लोग भी विकलांगता की इसी श्रेणी में आयेगे ?
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फैसले में एक सैनिक के बीपी को विकलांगता की श्रेणी में माना है !
तो फिर देश के लगभग 40 करोड़ लोग,जो BP,शुगर जैसी रोजमर्रा की बीमारियों से जूझ रहे है ?क्या वो सभी भी बीपी के आधार पर विकलांगता प्रमाणपत्र पाने के अधिकारी है ? बीपी शुगर जैसी बीमारियां तो आजकल युवा अवस्था में भी बड़ी संख्या में होने लगी है और एक अनुमान अनुसार केवल भारत में लगभग 40 करोड़ लोग इन बीमारियों से ग्रस्त है तो क्या ये सभी 40 करोड़ लोग विकलांगता की श्रेणी में आयेगे ?
आपके संदर्भ हेतु हमारे न्यूज पोर्टल्स सत्ता से सवाल द्वारा प्रसारित इस न्यूज के समर्थन में विश्वसनीयता हेतु बकायदा दिल्ली हाईकोर्ट के उक्त फैसले का लिंक प्रस्तुत किया जा रहा है !
सत्ता से सवाल:
हाई बीपी-शुगर को दिल्ली हाईकोर्ट ने माना दिव्यांगता, वायुसेना अधिकारी को मिलेगी डबल पेंशन | Patrika News | हिन्दी न्यूज https://share.google/OzYW6XvObHFoX4HfF
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दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले ने हाई ब्लड प्रेशर (बीपी) और शुगर को विकलांगता की श्रेणी में माना है, जिससे एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है। इस फैसले के अनुसार, यदि एक सैनिक के बीपी को विकलांगता माना जा सकता है, तो क्या देश के लगभग 40 करोड़ लोग, जो बीपी और शुगर जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं, वे भी विकलांगता प्रमाणपत्र पाने के अधिकारी हैं?
*दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के मायने*
– इस फैसले से उन लोगों को फायदा हो सकता है जो बीपी और शुगर जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं और विकलांगता प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करना चाहते हैं।
– लेकिन इससे यह सवाल भी उठता है कि क्या सभी बीपी और शुगर पीड़ित लोगों को विकलांगता की श्रेणी में माना जाएगा, या यह केवल विशिष्ट मामलों में ही लागू होगा।
*विकलांगता की श्रेणी में आने के लिए क्या आवश्यक है?*
– विकलांगता की श्रेणी में आने के लिए, व्यक्ति को विशिष्ट मानदंडों को पूरा करना होता है, जैसे कि शारीरिक या मानसिक अक्षमता जो दैनिक जीवन को प्रभावित करती है।
– दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद, यह देखना होगा कि सरकार और संबंधित अधिकारी इस मुद्दे पर क्या दिशा-निर्देश जारी करते हैं।
यह एक जटिल मुद्दा है, और इसके लिए सरकार और संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने होंगे।
