बिलासपुर में मोदी जी की रैली क्या नेताओ को टिकट दिलायेगी?

एक ही रखैया होवे, वो ही मन, पार नैया करे ?
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बिलासपुर में भी हुआ कुछ ऐसा ही है ? जिस नेता का न RSS में पहुंच का इतिहास रहा हो? और न बीजेपी के वर्तमान शीर्ष नेतृत्व से प्रागढ़ संबंध तो पैसा ही सब कुछ करवाता है !
वैसे भी राजनीति में पैसे का ही तो बोलबाला है, पैसे के लिए ही तो राजनीतिक दुकानें चलती है ?
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पैसे के बल पर ही तो राजनीतिक आयोजन,सभा,रेलिया होती है !
और पैसे से ही तो चुनाव जीते जाते है, लेकिन भाजपा संगठन में कुछ लोग तो ऐसे भी है जो पार्टी और संगठन के प्रति वफादार /निष्ठावान है, वरना अधिकांश फौज तो अवसर वादी पाई जाती है ?और निष्ठा की कोई कीमत होती नही है ?
सीधे मुद्दे पर आते है, नेता जी ने पैसे के बल पर अपना एक रखैया बनाया और प्रथम बार राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेली तो करवा ली बिलासपुर में,लेकिन केजरीवाल की रैली में आई भीड़ ने नेता जी भद्द पिटवा दी ?
तो केंद्रीय नेतृत्व को समझ आ गया कि चुनाव की बागडोर यदि स्थानीय नेताओं तक रही तो चुनाव नही जीता जा सकता है इसलिए शीर्ष संगठन सहित भाजपा का शीर्ष नेतृत्व ने स्थानीय नेतृत्व पर भरोसा न कर,दूसरे प्रदेशों के 50विधायको सहित अनेक केंद्रीय मंत्रियों के हाथो में बागडोर देना उचित समझा तभी बिलासपुर में मोदी जी की आम सभा सफल हो पाई है !
वही दूसरी तरफ संगठन के असली निष्ठावानो की लिस्ट में नेता जी की टिकट के बारे में नकरात्मक विचार होने के वावजूद बिलासपुर के भाजपा नेता को अपने एकमात्र रखैया के भरोसे टिकट की आश कही चिंता में डाल रही है तो टिकट आवंटन तक खुद को सांत्वना देने का मार्ग प्रशस्त कर रही है,
क्या कारण है कि मोदी जी ने बिलासपुर में अपनी सभा में बिलासपुर के भावी प्रत्याशी का जनता से परिचय कराना उचित नहीं समझा ?
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क्या कारण है कि
माथुर से लेकर पवन तक हुए अदृश्य !
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बिलासपुर, 1 अक्टूबर 2023।
राजनीतिक समाचार विशेष कर सभा रैली में नेता के भाषण के अतिरिक्त ऐसी बहुत सी चीज होती है जिसे पार्टी के कार्यकर्ताओ सहित आम जनता जानना और समझना चाहती है और इसका माध्यम राजनीतिक विश्लेषक पत्रकार ही हो सकते हैं। पर बिलासपुर में नेता जी की काजू कतली और होटल आनंदा इंपीरियल के स्वादिष्ट व्यंजन का असर कुछ अधिक है, इसलिए अंदर की बात कोई मिडिया जगजाहिर करेगा नही !
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सत्ता को बदलकर रख देने की दावा करने वाली इस रैली में भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर,केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडविया, अजय जामवाल, नितिन नवीन और मौजूद नहीं थे।
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अब उठना है मूल प्रश्न कि भाजपा में संगठन के ये अति विशिष्ठ चार नेता थे, कहां और क्या कर रहे थे ? टिकट आवंटन में एक तरफ छत्तीसगढ़ के बड़े नेताओं का दबाव, आरएसएस/विश्व हिंदू परिषद का दबाव और दूसरी तरफ नेता जी का बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व में किसी एक रखैया के सहारे प्रायोजित टिकट का सहारा ? इन सबके बीच यह स्पष्ट संकेत जरूर है कि नेता जी टिकट की राह नही इतनी आसान !