अरुण तिवारी,पड़ेंगे सब पर भारी?चुनाव लडने की है तैयारी?

बिलासपुर : राजनीति में अपनी आक्रामक शैली के लिए जाने जाते है अरुण तिवारी, बिलासपुर में भाजपा नेता के तमाम झूठे दावों की पुरजोर पोल खोलने का मादा और “सेठ तो गयो” डायलॉग को जनता के बीच लोकप्रिय बनाने वाले और सही साबित करने वाले नेता अरुण तिवारी से बिलासपुर की जनता अच्छी खासी परिचित भी है ! नामांकन से पहले ही अरुण तिवारी ने अपने राजनीतिक प्रतिद्विंदी को चुनाव में पराजित करने हेतु भाजपा नेता के झूठे,चुनावी दावों की पोल खोलना शुरू कर जनता को याद दिलाना शुरू कर दिया है कि नेता जी के कार्यकाल में ही कांग्रेस भवन में राजनीतिज्ञ लोगो के साथ बर्बरता पूर्ण लाठी चार्ज कराने वाला नेता आज कानून व्यवस्था ठीक कराने की बात करते है, पत्रकार सुशील पाठक का खुलेआम मर्डर भी नेता जी के कार्यकाल की ही देन है ! स्वर्गीय सुशील पाठक की आत्मा आज भी इंसाफ का इंतजार करती है ! नेता जी के चुनावी वायदे जो कभी पिछले 20साल के कार्यकाल में पूरे नही हुए, वो नेता जी चुनावी मजबूरी में 15 दिन में पूरे करने के झूठे वायदे करके पुन: जनता के साथ छलावा करेगे ! अरुण तिवारी द्वारा अनेक मंदिरो का निर्माण कराना भी अरुण तिवारी की हिंदुत्व छवि,आस्था का प्रतीक है, बिलासपुर के हिन्दू, और हिन्दू संगठन बड़ी उम्मीद लगाए बैठे थे कि भाजपा नेतृत्व बिलासपुर को कोई हिंदूवादी नेता को टिकट देगा, लेकिन हरी चद्दर प्रेमी और सेकुलर प्रत्याशी बनाकर बिलासपुर के हिंदुओ और हिन्दू संगठनों में निराशा का माहौल है ! निजी चर्चाओं में बिलासपुर के हिन्दू समुदाय के बहुत से लोग अरुण तिवारी को चुनावी मैदान में पाकर खुश है ! कि चलो निर्दलीय ही सही,कोई तो हिंदूवादी चेहरा, मंदिर प्रेमी नेता चुनाव के मैदान में आया, जिससे लोगो को ऑप्शन उपलब्ध हुआ ! अन्यथा बिलासपुर के बहुत से हिन्दू यही सोच रहे थे कि वोट दे तो किसको दे ? क्योंकि, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने हरी चद्दर प्रेमी को अपना उम्मीदवार बनाकर हिंदुओ की अपेक्षाओं पर कुठाराघात किया है, बहुत से हिंदू संगठन बिलासपुर में एक हिंदुत्व का माहोल इसलिए बनाए थे कि अबकी बार भाजपा से किसी विशुद्ध हिंदुत्ववादी व्यक्ति को भाजपा टिकट देगी ! बिलासपुर के हिन्दू मतदाता बड़ी संख्या में अरुण तिवारी को विकल्प के रूप में देखते हुए,अबकी बार पुन: “सेठ तो गयो” को साकार करेगी ! बिलासपुर में, इस बार की विधानसभा चुनाव में अन्य दावेदारों के बीच भी यह चर्चा है कि बिलासपुर से अबकी बार भी यदि भाजपा के एक ही व्यक्ति को बार बार चुनाव जितवाया गया तो दावेदारों आगामी पीढ़ी भी बिलासपुर में चुनावी दावेदारी से वंचित हो जायेगी ! साथ ही कई भाजपा कार्यकर्ता भी यही सोचते है कि उनकी समर्पित राजनीति का हश्र वो दरी बिछाने और नेता जी जिंदाबाद,जिंदाबाद करने तक सीमित रह जायेगी !

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