एक सामाजिक चिंतन,क्या सामाजिक स्थितियां है बदतर?
बिलासपुर में कुछ समय के लिए भले ही चाकूबाजी इत्यादि की घटनाओं में कमी आई हो ? लेकिन इसे स्थाई शांति का वातावरण कहना सही नहीं होगा ! भूमाफियाओं के आपसी विवादो ने भले ही गंभीर आपराधिक घटनाओं में तब्दील न हुआ हो ?लेकिन इतना जरूर है कि बिलासपुर एक गहरे अपराध की दुनिया से घिरा हुआ है !बिलासपुर में तमाम तरह के नशे के सौदागरों सहित भूमाफिया, जुआ,अवैध शराब, गांजा का व्यवसाय जोरो पर है, शहर में कहने को तो बार क्लब के लाइसेंस शराब पिलाने तक सीमित है लेकिन देर रात तक ग्रामीण क्षेत्रों से आई युवतियों का अमीर अयायशो की बाहों में नशे में झूलना आम देखा जा सकता है, बेरोजगारी ने और ग्रामीण परिवेश की लडकियो का शहरों की ओर आकर्षित होना शहरी क्षेत्रों की आधुनिक जीवन शैली की तरह जीवन यापन की ललक ने इतना विकराल रूप धारण कर लिया है कि संस्कारों की परंपराओं की बाते करने वाले अब इन आधुनिक बालाओं के सामने हंसी और नफरत के पात्र बनते है ! बड़े बड़े सफेदपोश लोग SPA सेंटरों की आड़ में देशी विदेशी लडकियो से सेक्स का व्यवसाय चला रहे है ?चाहे कुछ भी करना पड़े ? लेकिन गरीबी में कोई जीना नही चाहता ?आधुनिक भौतिक सुख सुविधाओं के भोग हेतु चाहिए पैसा ? तो पैसा आए कहा से ?यही वजह है कि हजारों डेटिंग एप्प पर क्या कुंवारी क्या विवाहित महिलाएं डेटिंग एप्प पर करोड़ो की संख्या में बड़ी आसानी से उपलब्ध है ? कुछ प्रतिशत असली संस्कारी परिवारों के अलावा कुछ नही कहा जा सकता कि कौन विवाहित/अविवाहित महिला /पुरुष किस के साथ सेट है ? भारत पूर्ण रूप से बड़ा सेक्स बाजार बनता जा रहा है,यही वजह है कि बहुतायत में विदेशी लड़किया भी टूरिस्ट या छात्र वीजा पर भारत आकर अब सेक्स बाजार में खुलकर उत्तर रही है ? क्या भारत में महिलाओ के रोजगार के अवसरों का मतलब सेक्स प्राथमिकता बनता जा रहा है ? कुछ प्रतिशत महिलाएं /युवतियां ही होगी जो अपनी काबिलियत के बूते,अत्यधिक संघर्ष पूर्ण प्रतिस्पर्धा पश्चात सफल हो पाती है ?अन्यथा सेक्स का शॉर्ट कट अपनाने में किसी को परहेज नहीं ? बहुत कम ऐसे संस्कारित परिवार लोग है जो कमाया गया अत्यधिक धन को धार्मिक,सामाजिक कार्यों में लगाते है ? अन्यथा, तो शराब और शबाब के शौकीनों को धर्म कर्म सामाजिक लोक कल्याण से क्या मतलब ? अधिकांश,सफेदपोश सामाजिक ठेकेदारों को अपने समाज की नही है चिंता?कभी नही लेते सुध कि उनके समाज के कितने लोगो के पास रोजगार नही है कौन सामाजिक मदद का जरूरत मंद है ? समाज के किस परिवार में क्या हो रहा है ?किसी सामाजिक अध्यक्ष या पदाधिकारी को होश नही ? सामाजिक संस्कार,विरासत,व्यवस्था धाराशाही है ! समाज और परिवार की कल्पना करना अब व्यर्थ है,संस्कार की बाते इतिहास बनता जा रहा है ? इज्जत और सम्मान का एकमात्र पैमाना पैसा है ? यदि हम हिंदुओ की जीवन शैली की बात करे तो सर्व प्रथम हिन्दू समुदाय ही तमाम तरह की आधुनिकता और बुराइयों को आत्मसात किए बैठा है ? ओर ये सामाजिक बुराइयां इस कदर घर कर गई है कि कोई सुधारो की बात करता है तो हिन्दू विरोधी कहलाता है ?
