सता से सवाल की आवाज सुनने वाला एसपी आया !
बिलासपुर, हम विभिन्न सामाजिक,राजनीतिक,तत्कालिक मुद्दों सहित व्यापक जनहित पर प्रभाव वाले मुद्दो को लिखते रहते है, फिर वो सता,शासन,प्रशासन,राजनीति,नेता,न्यायपालिका को सुझाव देने हो या सवाल करने हो ? पिछले दिनों हमने सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह पर विचाराधीन मामले पर जनता से विरोध स्वरूप सोशल मीडिया पर अपनी आवाज बुलंद कर सुप्रीम कोर्ट तक जनमत पहुंचाने की अपील की थी और सता से सवाल द्वारा प्रसारित जनआवाज के 2/3 दिन बाद ही हमे ज्ञात हुआ कि “सता से सवाल” के अभिमत को बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी उक्त मामले पर सुनवाई कर रही 5 जजों की बेंच के सामने यही बात दोहराई गई कि समलैंगिक विवाह मुद्दा समस्त मानवजाति पर व्यापक प्रभावी होगा, इसलिए इस मुद्दे को विधायिका पर छोड़ दिया जाए ! केंद्र सरकार तो पहले ही इस मुद्दे पर अपना रूख सुप्रीम कोर्ट को बता चुकी है कि वो समलैंगिक विवाह को कानूनी अनुमति देने के पक्ष में नहीं है !
एकमात्र न्यूज पोर्टल्स, “सता से सवाल” व्यापक जनहित में अपने पिछले कई जनसरोकार से जुड़े मुद्दो में इस मुद्दे को भी अनेकों बार न केवल उठा चुका है,बल्कि लिखित में भी पूर्व पुलिस वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा चुका है कि लोग किसी भी झूठी, काल्पनिक या मामूली घटना में भी बढ़ा चढ़ाकर गंभीर आरोपों के तहत झूठी,बनावटी,आधार हीन, साक्ष्य विहीन शिकायते करते रहने के आदतन आदी हो चुके है, तो क्यों न पुलिस IPC 107/116 की तरह ही अधिकाधिक IPC 182/211 का उपयोग क्यों नही करती है, कई आए कई गए, लेकिन बिलासपुर को पहला ऐसा पुलिस अधिकारी एसपी संतोष सिंह मिला है जिन्होंने इस व्यापक और अत्यधिक गंभीर समस्या की और अपना ध्यान केंद्रित किया है कि झूठी,आधारहीन,साक्ष्य विहीन,शिकायते करने वालो के खिलाफ अब IPC 182/211के तहत कार्यवाही की जाएगी ! असल में अभी तक होता क्या आया है कि आदतन झूठी शिकायते करते रहने वालों की वजह से ही पुलिस का अधिकांश समय,संसाधन, श्रम, शक्ति, बल, ये झूठी शिकायते करने वाले ही चट कर जाते है, ओर शिकायतों का अंबार है कि कभी कम होता नही है ! चलो देर से ही सही, सता से सवाल की मुहिम और जन आवाज सुनने वाला कोई तो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी आया ! हमारे पास राजेश सेठ तारबहार, बिलासपुर निवासी द्वारा ऐसी ऐसी छद्म नाम से की गई झूठी आधार हीन, साक्ष्यों विहीन शिकायतों के दस्तावेज है जिनके शिकायत कर्ता और उनके पते जांच में फर्जी पाए गए, ओर राजेश सेठ जेसे शातिर और आदतन झूठी शिकायते करते रहने के आदी ये लोग अपनी झूठी शिकायतों के पुलिंदे एक साथ,एसपी, पीएमओ,सीएम, IG, DIG, DGP, राज्यपाल, एनएचआरसी को अपनी झूठी शिकायते भेजते है कि थाना प्रभारी को मजबूरन जांच में अपना समय व्यर्थ करना ही पड़ता है ! फलस्वरूप, असली,सही शिकायत कर्ता, जरूरत मंद पुलिस कार्यवाही से वंचित हो जाते है,इन झूठी शिकायत कर्ताओं से निपटने में लोगो की दूसरी कानूनी परेशानी यह है कि IPC 182 के तहत कार्यवाही का अधिकार केवल पुलिस को है, इसलिए झूठी शिकायत कर्ताओं के हौंसले और अधिक बुलंद होते गए थे अभी तक, क्योंकि पुलिस कभी IPC 182/211 का उपयोग करती ही नही थी !धन्यवाद एसपी संतोष सिंह जी !
व्यापक जनहितार्थ आवश्यक : महिला संबंधी अपराधो में महिलाओं की शिकायत पर कार्यवाही से पहले संबंधित शिकायत कर्ता महिला से इस आशय का शपथ पत्र लिया जाना आवश्यक किया जाए कि वो आरोपी से भविष्य में न तो समझोता करेगी ओर न पैसे लेकर अदालत में बयान इत्यादि बदलेगी ! होता क्या है कि जेसे ही पुलिस किसी महिला की शिकायत पर FIR दर्ज करती है,उधर मोल भाव /सौदेबाजी शुरू हो जाती है ! अधिकांश मामलों में मामला अदालत तक पहुंचते पहुंचते ही खत्म हो जाता है, इस प्रकार सौदेबाजी की कीमत बढ़वाने हेतु महिलाए पुलिस कार्यवाही का दुरुपयोग के मामले बढ़ते ही जा रहे है ! पाक्सो तक के मामले जमानत स्तर पर दम तोड़ते पाए गए है ! झूठी,आधार हीन,साक्ष्य विहीन शिकायतों में अब महिलाए भी पीछे नहीं है, होता है सड़क पर मामूली वाहन टकराने का मामला और बना देती है 354 का मामला !