क्या कर रहे हो माननीय जजों?

बीबीसी की न्यूज रिपोर्ट के अनुसार पटना में 8 साल की दलित बच्ची का शव मिला है, जो अपने घर में खाना पकाने हेतु जलावन लेने सुबह लगभग 8 बजे निकली थी और उसके साथ एक अन्य बच्ची जिसकी उम्र भी लगभग 9साल है मृतक बच्ची के शव के पास अगले दिन सुबह रोते हुए और अत्यधिक घायल अवस्था में मिली है !
मृतका बच्ची के परिजन उसी दिन थाना गए थे रिपोर्ट दर्ज कराने लेकिन पुलिस द्वारा न तो उनकी रिपोर्ट दर्ज की गई और न ही बच्ची की खोजबीन हेतु कोई कार्यवाही शुरू की ? सुप्रीम कोर्ट सहित विभिन्न अदालती आदेशों में स्पष्ट है कि इस प्रकार की अति संवेदनशील घटनाओं में तुरंत FIR और कार्यवाही होनी चाहिए, लेकिन देश भर की अधिकांश पुलिस है कि अदालती आदेशों को कुछ नही समझती है ?
हमारा सवाल यह है कि देश भर की अदालतें, जवाब देही विहीन फैसले क्यों देती है ? यदि संगेय अपराध में भी पुलिस तत्काल FIR दर्ज कर गंभीरता पूर्वक कार्यवाही शुरू नही करती है, अपनी ड्यूटी नही निभाती है तो पुलिस वालो की गिरफ्तारी शुरू क्यों नही करते हो माननीय जजों ?
क्या किसी जज की बेटी गायब होगी तभी त्वरित कार्यवाही होगी ? क्या किसी हाई प्रोफाइल की बेटी गायब होगी तभी त्वरित कार्यवाही होगी ?
पूर्व में ऐसी सूचनाएं भी देश के लोगो के संज्ञान में आई है कि पुलिस के पास आजम खान की भैंस खोजने के लिए किसी वीआईपी का कुता खोजने के लिए तो पूरी पुलिस फोर्स लग जाती है लेकिन गरीबों की बेटियो के लिए पुलिस FIR भी दर्ज नही करती ओर लोगो को थाने से भगा देती है !
आप लोगो को देश देख रहा है माननीय जजों ! कि कैसे प्रशासनिक स्तर पर लोगो के लिए इंसाफ के दरवाजे बंद है और आप लोगो को वीआईपी लोगो के प्रकरण पहले सुनने से फुरसत नहीं है ? कब तक जवाब देही विहीन गाइडलाइन देते रहोगे ? कब तक पुलिस को निर्कुंशता के साथ गरीबों के साथ मजाक करने के लिए खुला छोड़ते रहोगे ? माननीय जजों, जो आप सिस्टम को डिलीवर कर रहे हो, वो आप अपनी भावी पीढ़ी को परोस रहे हो ?यह ध्यान रखिए ?