क्या पत्रकार अजीत अंजुम मोदी विरोधी मानसिकता से पत्रकारिता करते है ?बड़ा सवाल ?
पत्रकार कोई भी हो ? मिडिया संस्थान कोई भी हो ?जब किसी विशेष एजेंडे के साथ या किसी पूर्व ग्रसित भावना से पत्रकारिता की जाए तो सवाल उठने लाजिमी है ? अजीत अंजुम की पत्रकारिता को स्वस्थ और निष्पक्ष पत्रकारिता तो बिलकुल नही कही जा सकती क्योंकि उसको भाजपा शासित राज्यो सहित केंद्र सरकार में एक भी अच्छाई या जनहित का फैसला नजर आता नही ? सत्ता से सवाल करना सही ठहराया जा सकता है लेकिन बिना किसी ठोस सबूत के अपने एक विशेष एजेंडे के तहत ईवीएम पर एक पत्रकार द्वारा देश में ईवीएम के विरुद्ध जनता को उकसाना ?तो राजनीतिक पार्टियों से अधिक अजीत अंजुम को पता नही किस बिनाह पर दर्द महसूस होता है ?लगातार अजीत अंजुम द्वारा लगातार चुनावी व्यवस्था पर,EVM की निष्पक्षता पर शंका करना और देश में करोड़ो लोगो के बीच चुनावी व्यवस्था और EVM के प्रति अविश्वास प्रकट करने के लिए उकसाना,देश की चुनावी व्यवस्था के खिलाफ अघोषित युद्ध के समान है ? EVM पर देश के अधिकांश राजनीतिक दलों के आरोप प्रत्यारोपों पर चुनाव आयोग सहित सुप्रीम कोर्ट स्थिति स्पष्ट कर चुका है ?विचार कर चुका है तो एक समुदाय विशेष का मोदी विरोधी मानसिकता वाला पत्रकार किस बिनाह पर बार बार EVM पर सवाल उठाकर जनता को देश की सत्ता के खिलाफ उकसा रहा है ? यदि उनकी पत्रकारिता के यू ट्यूब चैनल पर प्रसारित अधिकांश वीडियो को देखेगे तो पाएंगे कि उनको मोदी सता में कुछ भी ऐसा दिखाई नही देता जो उनके मुस्लिम समुदाय सहित व्यापक जनहितार्थ हो ?,स्वस्थ पत्रकारिता किसी भी सत्ता से सवाल पूछने के साथ साथ यदि किसी भी पार्टी की सरकार ने व्यापक जनहित की नीतियां बनाई है उन नीतियों से देश के लोगो को मिलने वाली सुविधाओं,लाभों से भी जनता को अवगत कराना मिडिया का ही दायित्व है ? हम यह नही कह रहे कि कोई भी मिडिया सरकार की आवाज बने, लेकिन लाख आलोचनाओं के वावजूद अजीत अंजुम पत्रकार को मोदी ,/बीजेपी सत्ता में इतनी सारी जनकल्याण कारी नीतियां भी नजर आनी चाहिए, आंकड़े बताते है कि अजीत अंजुम के समुदाय के मुस्लिम लोग भी बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के सरकार की नीतियों से सार्वाधिक लाभान्वित होते है अजीत अंजुम यह तो कभी नही बताते ? अजीत अंजुम की पत्रकारिता पूर्व ग्रस्त मोदी विरोधी/भाजपा विरोधी पत्रकारिता गैंग का हिस्सा प्रतीत होता है ?