अबकी बार,क्या बिलासपुर में भगवा के सहारे होगी चुनावी नैया पार ?

बिलासपुर : हिंदुओ के तमाम धार्मिक उत्सव तो प्रतिवर्ष आते है, हिंदुओ के तमाम शंकराचार्य /प्रवचन कर्ताओ की फौज तो हमेशा मौजूद रहती है, लेकिन सन 2023 में चुनावी वर्ष होने की वजह से राजनीतिक से जुड़े लोगो के लिए भगवा प्रेम कुछ अधिक ही उमड़ रहा है, इसमें वो नेता भी है जो कभी लूथरा शरीफ में हरी चद्दर चढ़ाकर मिडिया में यह दावा किए थे कि वो तो पिछले 25सालो से हरी चद्दर मजार प्रेमी है ? यह वो दौर था जब नेता जी को लगने लगा था कि अबकी बार बिलासपुर से उनकी चुनावी टिकट पर ग्रहण लग सकता है तभी तो राजनीतिक भविष्य की भावी संभावनाएं खोजने नेता जी कोरबा और रायगढ़ दौरा कर, यह कह कर, वहा के भाजपा कार्यकर्ताओ के बीच धमाल मचा दिए थे वो रायगढ़ के लोगो की सेवा करने चाहते है, हालांकि रायगढ़ और कोरबा में दोनो जगह नेता जी की PC फीकी ही रही थी !

भले ही नेता जी उम्र के 55पार कर लिए हो, लेकिन भैया के नाम से प्रसिद्ध नेता जी को पता नही किस शीर्ष नेता का आश्वासन मिला कि तथाकथित भैया रायगढ़ और कोरबा की तरफ की धूमिल संभावनाओं को देखते हुए विगत कुछ माह से अचानक राजनीतिक रूप से बिलासपुर में ही सक्रिय हो गए ! साथ ही अपनी हरी चद्दर प्रेमी की पहचान को जनता, खासकर बिलासपुर के हिंदुओ की यादाश्त से विस्मृत करने के उद्देश्य से नेता जी लगातार हिंदुओ के धार्मिक उत्सवों में सक्रिय नजर आने लगे, साथ ही सभी हिन्दू संगठनों सहित समर्थन,समर्थक जुटाने के लिए आरएसएस सहित तमाम भगवा प्रेमियों को उनकी जरूरत अनुसार सुविधाएं उपलब्ध कराते हुए गली गली भगवा प्रेमियों के बीच लगातार बैठने उठने का सिलसिला नेता जी का चुनाव तक लगातार जारी रहेगा !

विरोधी पक्ष के नेता जी ने जल्दी ही पकड़ ली नेता जी नब्ज़, इसलिए, विधायक जी भी लगातार भगवा प्रेमियों सहित हिंदुओ के सम्मानीय, परम पूज्यनिय शंकराचार्य सहित अपने समाज के समर्थन को लेकर, चुनावी रूप से एक्टिव होने में जरा भी देर नहीं की, दोनो नेताओ के अलावा कुछ अन्य भगवा धारी भी मात्र इसलिए इस चुनावी वर्ष में अधिक सक्रिय है क्योंकि इनमे अबकी बार बिलासपुर विधानसभा से भाजपा की टिकट चाहने वाले दावोदरो की संख्या अधिक है ? विगत 4 साल से कोई लंगर न चलवाने नेता जी आजकल लंगर चलवाने के धार्मिक बहाने खोजते नजर आ रहे है, यह सब चुनावी चाल से अधिक कुछ नहीं है राजनीति जो कराए वो कम है ? इसके वावजूद जनता के बीच नेता जी की चुनावी पसंद चुनाव जीतने के पायदान पर तो बिलकुल नही है ! राजनीतिक मामलो की समझ रखने वालो का आंकलन है कि अबकी बार भाजपा की कोई मजबूरी नही है कि टिकट नेता जी को ही दे ? वैसे भी कर्नाटका, और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को अत्यधिक सावधानी से और केवल जीत सकने वाले लोगो को टिकट देना मजबूरी है क्योंकि अबकी बार सवाल 75/15 के गहरे राजनीतिक गढ्ढे को पाटने की मजबूरी जो है ?

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