संसद सत्र समाप्त होने के बाद सरकार ने एक ऐसा कानून बनाया है, जिसमे सरकारी PIB को फैक्ट चैक के अधिकार दे दिए है ! ये फैक्ट चैक टीम किसी भी मिडिया प्लेटफार्म पर वायरल,प्रकाशित,प्रसारित सूचना/खबर को झूठी करार देकर, उक्त सूचना/खबर के लेख/आर्टिकल/वीडियो को न केवल तुरंत हटाने पर विवश कर सकती है, बल्कि उक्त मिडिया के किसी भी प्लेटफार्म को बंद भी किया जा सकता है, अब देशभर का मिडिया /सोशल मीडिया नही, सरकार तय करेगी कि कौन सी सूचना/समाचार सही है और कौन सा गलत ? वैसे तो कुछ इसी तरह की स्थिति लगभग सभी राज्य सरकारों की है, कोई भी सरकार अपनी व्यवस्था की खामियों को उजागर करने से रोकती रही है, गलती किसी नेता विशेष के निर्णयों की हो ?या किसी प्रशासनिक अधिकारी की, जनता,आखिरकार कोसती तो सतारूढ़ सरकार को ही है ? कोई भी सता अपनी आलोचना सुनने को तैयार है नही, मिडिया के सवालों के जवाब कोई सरकार देना चाहती नही है ?तो अब स्थितियां ऐसी निर्मित होने वाली है कि देशभर का मिडिया लिखेगा तो क्या लिखेगा ?दिखायेगा तो क्या दिखायेगा ? कोरोना काल में महाराष्ट्र में जब लाखो मजदूर अपने अपने गृह राज्य में पैदल चलने को मजबूर थे तो भी सरकार ने कहा था कि ये विडियो फर्जी है, जब सरकारें ही सूचनाओं को तय करने लगेगी कि कौन सी सूचना सही है और कौन सी गलत ?तो फिर मिडिया के पास जनता को व्यवस्था की,सता की खामियां दिखाने /बताने को आखिरकार बचेगा ही क्या ? तो मित्रो, अब सता,व्यवस्था और नेताओ के लिए भक्ति चालीसा लिखने और जनता को बताने के अलावा कुछ विकल्प मिडिया के पास बचेगा नहीं ? यही स्थिति निर्मित होने वाली है, “सता से सवाल” अब चलेंगे नही ?
सरकार के इस फैसले के खिलाफ, एडिटर गिल्ट संस्था ने सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए चिंता जाहिर की है ! बताओ, किया क्या जाए ?